Ashram Land Donation – Shri Hit Utsav Charitable Trust
महाभारत में भीष्म पितामह और श्रीकृष्ण द्वारा युधिष्ठिर को भूमि दान की महिमा बताई गई है। वे कहते हैं — “हे पाण्डुनंदन! अब मैं तुम्हें श्रेष्ठ भूमि दान का वर्णन करता हूँ। जो मनुष्य ब्राह्मण को श्रद्धा सहित दक्षिणा सहित भूमि दान करता है, वह उस समय समस्त सुखों से युक्त होकर, समस्त रत्नों से अलंकृत होकर, समस्त पापों से मुक्त होकर सूर्य के समान तेजस्वी हो जाता है। वह दिव्य ध्वजाओं से सुसज्जित विमान में बैठकर मेरे लोक को जाता है।
क्योंकि भूमि दान से बढ़कर कोई दान नहीं है, और भूमि हड़पने से बड़ा कोई पाप नहीं है। हे कुरुश्रेष्ठ! अन्य दानों का पुण्य कालांतर में क्षीण हो जाता है, परंतु भूमि दान का पुण्य कभी क्षीण नहीं होता। भूमि दान से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। परिस्थितिवश जो पाप हो जाता है, वह भी भूमि दान से नष्ट हो जाता है। इस दान से अनेक श्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं। भगवान स्वयं कहते हैं कि — जब कोई ब्राह्मण को भूमि दान करता है, तब समस्त देवता — सूर्य, शंकर और मैं स्वयं — प्रसन्न होते हैं।
हे युधिष्ठिर! भूमि दान के पुण्य से पवित्रचित्त हुआ दाता मेरे परम धाम में निवास करता है — इसमें कोई संशय नहीं। जो व्यक्ति आजीविका की कठिनाइयों के कारण पाप कर बैठता है, वह भूमि दान से उन पापों से मुक्त हो जाता है। एक माह का व्रत, कृच्छ्र और चांद्रायण जैसे तप से जो पुण्य प्राप्त होता है, वह भूमि दान से सहज ही प्राप्त हो जाता है। जो मनुष्य भूमि दान करता है, वह मानो विभिन्न प्रकार के फूल-फलों से युक्त वृक्षों, कमलों और उत्पलों का दान करता है। यज्ञों में जो दक्षिणा दी जाती है, वह भी भूमि दान से ही पूर्ण होती है।
जो पुरुष ब्राह्मण को भूमि दान करता है, उसके पितृगण महाप्रलय तक तृप्त रहते हैं। जब आप Shri Hit Utsav Charitable Trust के माध्यम से ब्रज में भूमि दान करते हैं, तब आप उस दिव्य सेवा के अधिकारी बनते हैं, जिसके लिए ऋषि-मुनि भी लालायित रहते हैं।
आप जितनी भूमि Shri Hit Utsav Charitable Trust को दान करते हैं, उस पर जब तक आश्रम का निर्माण होता है, तब तक असंख्य जीवों की सेवा उसी भूमि से आपके ही माध्यम से होती है, जो हमारे दृष्टिगत नहीं होते किंतु हमारे ऊपर निर्भर होते हैं। जितना पुण्य सभी तीर्थों में स्नान करने से प्राप्त होता है, उतना पुण्य भूमि दान से प्राप्त होता है।
जो व्यक्ति भूमि दान करता है, उसके समीप यमराज के दूत भी नहीं फटकते। और जब भूमि ब्रज जैसे पवित्र स्थल में दान की जाए, तब उसकी महिमा और भी अधिक बढ़ जाती है। वृंदावन में कोई भी जीव सामान्य नहीं होता — वह अवश्य ही पूर्व जन्म का कोई तपस्वी ऋषि होता है, जिसने ब्रज धाम की प्राप्ति के लिए कठोर तप किया होता है।
तो क्या आप जानते हैं कि आपके द्वारा दान की गई भूमि पर किसी दिव्य भक्त के चरण किस वेश में पड़ सकते हैं?
आइए, हम सब मिलकर Shri Hit Utsav Charitable Trust के माध्यम से ब्रजभूमि में भूमि दान करें और उन जीवों की सेवा का सौभाग्य प्राप्त करें, जिसकी लालसा स्वयं ब्रह्मा भी करते हैं।